क्या बकवास है यार। सुबह उठ tv चालू की तो बकवास, अखबार देखा तो बकवास, ऑफिस पहुंचा तो भी बकवास। साला, दिमाग ही बकवास की टोकरी बन गया है। क्यों ना कुछ नया किया जाए। तो चलो शुरू करते हैं । हाँ, भाई शुरू करते हैं। एक मिनट रुको, मैं नहीं हम। मेरा कोई अकेला कुछ करने का प्लान नहीं है। सोचता हूँ हम सब मिल कुछ करें। हाँ, हम इस बकवासी दुनिया को नई सोच दें। तो भाई इस दिमाग में कुछ भी खुरापात हो तो इस e-mail: nagda365@gmail.com पर भेज दें"